ग्राउंड रिपोर्टः फायर विभाग से एनओसी के बिना चल रहीं थीं फैक्ट्रियां, आग से यूपी-बिहार में हाहाकार

 


ग्राउंड रिपोर्टः फायर विभाग से एनओसी के बिना चल रहीं थीं फैक्ट्रियां, आग से यूपी-बिहार में हाहाकार



खास बातें



  • आग लगने के स्पष्ट कारण का अब तक पता नहीं, जांच जारी  

  • तंग गलियों ने बढ़ाई मुश्किल, दो सौ मीटर दूर खड़ी करनी पड़ी फायर विभाग की गाड़ियां



 

दिल्ली के रानी झांसी रोड पर फिल्मिस्तान के नजदीक जिस इमारत में आग लगी है, उसे फायर विभाग से एनओसी नहीं मिला हुआ था। इमारत में आग से निबटने का कोई इंतजाम नहीं था। ज्यादातर लोगों की मौत आग में झुलसने के कारण नहीं, बल्कि तीसरी मंजिल पर बने एक बरामदे में धुएं से दम घुटने की वजह से हुई है।
 

आग शार्ट सर्किट के कारण लगी या इसका कोई और कारण था, यह अभी स्पष्ट नहीं है। बिल्डिंग के मजदूर अपना काम करने के बाद वहीं पर सो जाते थे। वे वहीं पर अपने खाने का इंतजाम भी किया करते थे। सुबह होने के कारण किसी मजदूर के द्वारा वहां पर चाय बनाते हुए यह दुर्घटना घटने से भी पुलिस ने इंकार नहीं किया है। बचाव कार्य के दौरान पुलिस को गैस स्टोव, कूकर इत्यादि चीजें भी मिली हैं। लेकिन गैस सिलिंडर के फटने जैसी कोई घटना नहीं घटी है। अब तक 43 लोगों की मौत और 53 लोगों के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। घायलों का इलाज एलएनजेपी, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग अस्पतालों में चल रहा है।

बिल्डिंग की डिजाइन खतरनाक


दिल्ली अग्निशमन विभाग के उच्च अधिकारी अतुल गर्ग ने बताया कि जिस इमारत में आग लगी है, वह लगभग 500 गज पर बनी है। पूरी इमारत में ग्राउंड फ्लोर के अलावा चार मंजिल और बनी है। हर फ्लोर पर छोटे-बड़े कमरे बने हैं। हर कमरे में अलग-अलग प्रकार के सामान बनाने की फैक्ट्रियां चल रही थीं। वहां बैग, टोपी, पर्स जैसे सामान बनाए जाते थे। ग्राउंड फ्लोर के एक कोने में सीढ़ियां हैं जो ऊपर की मंजिलों के लिए जाती हैं। आग लगने की घटना दूसरी मंजिल पर हुई थी। सबसे ज्यादा लोगों की मौत तीसरी मंजिल पर बने एक बरामदे में दम घुटने के कारण हुई है।

सबसे ज्यादा मजदूर तीसरी मंजिल पर बने एक बरामदे में सोते थे, जबकि आग दूसरी मंजिल पर लगी है। आशंका है कि दूसरी मंजिल पर आग लगने के बाद मजदूरों को नीचे भागने का अवसर नहीं मिला होगा क्योंकि नीचे रखे फैक्ट्री के सामानों में आग लग गई होगी जिससे नीचे भागने का रास्ता ब्लॉक हो गया होगा। ऐसी स्थिति में सब ऊपर की तरफ भागे होंगे। वहां भी उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं मिला और लगातार ऊपर उठते धूएं में दम घुटने से उनकी दर्दनाक मौत हो गई।  

अग्नि शमन विभाग का स्थानीय ऑफिस आग लगने के घटना स्थल से कुछ ही दूरी पर है। पुलिस विभाग को आग लगने की सूचना फोन के जरिए लगभग 5ः20 बजे मिली। विभाग ने अपनी 30 गाड़ियों को आग बुझाने के काम पर लगाया। इसमें लगभग 150 अग्निशमनकर्मियों ने जूझते हुए आग पर काबू पाने की कोशिश की। लेकिन पूरी कॉलोनी में घुसने के लिए जिस बांके बिहारी द्वार से गाड़ियों को जाना था, वहां से एक बार में एक गाड़ी ही अंदर जा सकती थी। एक गाड़ी के अंदर होने तक दूसरा वाहन अंदर नहीं जा सकता। ऐसे में दमकल विभाग की एक ही गाड़ी एक बार में अंदर जा पा रही थी। आग लगने वाली इमारत से लगभग 200 मीटर की दूरी पर ही दमकल विभाग की गाड़ियों को रोकना पड़ा। पाइप के जरिए पानी फेंक कर आग पर काबू पाया गया।  

आग बुझाने में इसलिए आई दिक्कत


अग्निशमन विभाग के एक जवान सोमेश के मुताबिक किसी भी फ्लोर के किसी भी कमरे में हवा-पानी की निकासी के लिए उचित खिड़की नहीं थी। कुछ जगहों पर छोटी-छोटी खिड़कियां बनीं थीं। उन्होंने खिड़कियों को तोड़कर लोगों को अपने कंधे पर रखकर बाहर निकाला। सोमेश के मुताबिक आग में बुरी तरह झुलसने के कारण किसी की जान नहीं गई है। सबसे ज्यादा लोगों की मौत दुम घुटने की वजह से हुई है। आग बुझाने के दौरान एक दमकल कर्मी के भी चोट लगने की बात सामने आई है। उसका इलाज चल रहा है।

निकास द्वार नहीं


फैक्ट्री की एरिया में एक ही द्वार अंदर जाने के लिए था। यहां से भी केवल एक ही वाहन एक बार में अंदर जा सकता है। जबकि इस एरिया से बाहर निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं है। एक बहुत छोटा रास्ता बाहर निकलने के लिए है, लेकिन वहां से केवल पैदल यात्री ही बाहर निकल सकते हैं।

पास-पड़ोस के लोगों ने बताया


बांके बिहारी गेट से कुछ ही दूर पर मीट का कारोबार करने वाले इमरान ने बताया कि इस इलाके में सबसे ज्यादा यूपी-बिहार के मजदूर काम करते हैं। वे किराए इत्यादि की बचत के कारण अक्सर फैक्ट्रियों में ही सो जाते हैं। इसीलिए यहां मौत का आंकड़ा इतना ज्यादा है। हालांकि, दिल्ली के ही सीलमपुर, शास्त्री पार्क जैसी एरिया के लोग भी यहां काम करते हैं। इसलिए दिल्ली के लोगों के भी इनमें भारी संख्या में होने की आशंका है। ज्यादातर मजदूरों को यहां आठ से दस हजार रुपये तक की सैलरी मिलती है।